राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है राजस्थान के साथ में चार अन्य राज्यों के चुनाव भी हो रहे हैं राजस्थान में नाजपा चुनाव को देखते हुए दिल्ली में पांच राज्यों के 900 चुनावी ऑब्जर्व की बैठक शुरू हो चुकी है सूत्र के अनुसार चुनाव की तारीखों को लेकर मंथन किया गया है राजस्थान में एक चरण में चुनाव होने की संभावना है।
राजस्थान संविधान सभा चुनाव को लेकर 8 अक्टूबर के बाद में किसी भी वक्त आचार संहिता लगाई जा सकती है दिल्ली के कांस्टीट्यूशन कलम में चल रही बैठक में जनरल ऑब्जर्व एक्सपेंडिचर और सिक्योरिटी ऑब्जर्व भी शामिल है चुनाव आयोग 8 अक्टूबर या उसके बाद में किसी भी वक्त विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है विधानसभा चुनाव नवंबर के दूसरे सप्ताह में और दिसंबर के पहले सप्ताह में अलग-अलग तारीख को और चरणों में मतदान कराए जाने की संभावना है सूत्रों के मुताबिक पांच राज्यों की विधानसभा चुनाव की मतगणना एक साथ होगी जबकि चुनाव अलग-अलग तारीख में कराया जा सकते हैं।
चुनाव की तारीख का ऐलान होते ही प्रदेश में आचार संहिता लग जाएगी इसके बाद में किसी प्रकार का कोई भी सरकार और लोगों से संबंधित लाभ नहीं दे सकती है चुनाव की तारीख की घोषित होने के बाद में प्रशासन पूरी तरह से चुनाव आयोग के साथ में काम करके चुनाव को शांतिपूर्ण संपन्न कराने में लग जाता है।
पिछली बार आचार संहिता की तारीख
अगर बात करें 2018 के संविधान सभा चुनाव की तो उसे वक्त 6 अक्टूबर को चुनाव आयोग ने तारीखों की घोषणा की थी और इसी के साथ आचार संहिता लागू हुई थी देश में या किसी भी राज्य में निष्पक्ष चुनाव किसी भी लोकतंत्र की बुनियाद होती है इसलिए दुनिया की सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में चुनाव के एक उत्साह के रूप में देखा जाता है सभी सियासी दल और मतदाता मिलकर इस चुनाव में भाग लेते हैं चुनाव की इस आपद अपी में मैदान में उम्मीदवार अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं ऐसे माहौल में सभी उम्मीदवार और सभी राजनीतिक दल वोटो के बीच में जाते हैं और अपनी नीतियों और कार्यक्रम को सभी के पास रखते हैं।
आदर्श आचार संहिता
आचार संहिता चुनाव की तारीख घोषित होने से लेकर नतीजा आने तक जारी रहते हैं इसके लिए सभी दिशा निर्देश सभी राजनीतिक पार्टियों को मानना जरूरी होते हैं आचार संहिता का मकसद चुनाव प्रचार अभियान को निष्पक्ष और साफ सुथरा बनाना है सत्तादाय राजनीतिक दलों को इसका गलत फायदा नहीं हो इसे रोकना है चुनाव में सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग को रोकना भी आदर्श आचार संहिता का मकसद है आदर्श आचार संहिता को राजनीतिक दलों और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए आचरण और व्यवहार का पैरामीटर माना जाता है।
आदर्श आचार संहिता किसी कानून के तहत नहीं बनी है यह सभी राजनीतिक दलों के सहमति से बनी और विकसित हुई है सबसे पहले 1960 में केरल विधानसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के तहत बनाया गया कि क्या करें और क्या नहीं करें 1962 के लोकसभा चुनाव में पहली बार चुनाव आयोग ने इस संहिता को सभी मान्यता राजनीतिक दलों में वितरित किया।
पहली बार आचार संहिता 1667 में लागू Check
1967 के लोकसभा विधानसभा चुनाव मैं पहली बार राज्य सरकारों से आग्रह किया गया कि वे राजनीतिक दलों से इसकी पालना करवाए तब से लगभग सभी चुनाव में आदर्श आचार संहिता का पालन किया जा रहा है चुनाव आयोग समय-समय पर आदर्श आचार संहिता को लेकर राजनीतिक दलों से चर्चा करता है ताकि इसमें सुधार किया जा सके और यह बराबर चलती रहे।
राजस्थान विधानसभा चुनाव में कुल 51756 पोलिंग बूथ है राजस्थान विधानसभा चुनाव में लगभग 5.26 करोड़ से ज्यादा वोटरों की संख्या होगी।