दीपावली का पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है जब दीपावली आती है तो सरकारी अवकाश भी घोषित कर दिए जाते हैं इस उत्सव की तैयारी शुरू हो चुकी है दीपावली त्यौहार को लेकर सभी में असमंजस्य की स्थिति है लोग आपस में जानना चाहते हैं कि दीपावली की फिक्स डेट क्या है आज हमने इसी के बारे में पूरी विस्तार से जानकारी उपलब्ध करवाई है।
दीपावली आने के बाद में प्रत्येक साल एक मन में रहता है कि दीपावली किस डेट को मनाई जाएगी दीपावली यानी अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है दीपावली हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है यह पर्वत धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक संपन्न होता है यानी दीपावली वैसे देख तो 5 दिन तक मनाई जाती है 10 नवंबर को धनतेरस मनाई गई इसके बाद में 11 नवंबर को छोटी दीपावली बनाई जाएगी और 12 नवंबर को बड़ी दीपावली होगी 14 नवंबर को गोवर्धन पूजा और 15 नवंबर को भाई दूज का त्यौहार मनाया जाएगा।
दिवाली को लेकर कई खटाई प्रचलित है मानता है कि इस दिन भगवान श्री राम का वनवास काटकर अपनी नगरी अयोध्या वापस लौटे थे और उन्होंने लंका पर विजय हासिल की थी उनके आने की खुशी में कार्तिक मास के अमावस्या को अयोध्या वासियों ने दीपक जलाकर उत्सव मनाया था ऐसा माना जाता है कि तभी से दीपावली की शुरुआत हो गई थी इसके अलावा दीपावली पर वैसे जुड़ी एक दूसरी खटाई प्रचलित है जिसके अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध करके लाख सभी को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी।
दीपावली के लिए शुभ मुहूर्त
धन और स्मृति की देवी लक्ष्मी का इस दिन समुद्र मंथन से प्रकट हुआ था इस बार 12 नवंबर को दीपावली मनाई जा रही है जिसके लिए शुभ मुहूर्त हम आपके यहां पर बता रहे हैं इसके अनुसार आप अपनी दीपावली धूमधाम से मना सकते हैं।
शुभू मुहूर्त
प्रातःकाल 7:20 से 9:37 तक वृश्चिक लग्न
दोपहर 1:24 से 2:55 तक कुंभ लग्न
शाम को 6 बजे से 7:57 तक वृषभ लग्न। इस समय सभी लोगों को घरों में पूजा करनी चाहिए।
शाम 7:57 बजे से रात 10:10 तक भी घरों में पूजा कर सकते हैं।
अंतिम शुभ मुहूर्त अर्धरात्रि में 12:28 से लेकर 2:45 तक सिंह लग्न में है। जिन लोगों की पूजा किसी कारण से रह जाए वो अंतिम मुहूर्त में भी पूजन कर सकते हैं।
लक्ष्मी पूजा विधि (Lakshmi Puja) Check
दिवाली की पूजा के लिए लक्ष्मी जी की चौकी स्थापित करें. इस पर एक लाल वस्त्र बिछाएं. फिर कुछ चावल चौकी के मध्य में रखें. इसके बाद कलशा स्थापित करें. चावलों के बीचों-बीच तांबा या पीतल या फिर चांदी का कलश भी रख सकते हैं. इसके बाद कलश में जल भरें और उसमे फूल, चावल के कुछ दाने, एक धातु का सिक्का और एक सुपारी रखें. कलश का मुख पांच आम के पत्तों से ढक दें. अब लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति चौकी के मध्य रखें. मूर्ति को कलश के दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना अच्छा माना गया है. इसके बाद पूजा प्रारंभ करनी चाहिए. भोग लगाने के लिए फल, मिष्ठान आदि रखें. पूजा के लिए नोट या सिक्के आदि भी रख सकते हैं.